विश्राम मनुष्य का सहज स्वभाव और अस्तित्व का केन्द्रीय मूल्य है || आचार्य प्रशांत (2015)
2019-11-30 0 Dailymotion
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शब्दयोग सत्संग १६ अगस्त २०१५ अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग: मैं शरीर को लेकर इतना चिंतित क्यों रहता हूँ? ज्यादा नींद क्यों आती है? क्या विश्राम मनुष्य का सहज स्वभाव है? अस्तित्व का केन्द्रीय मूल्य है क्या है?